Tuesday 12 June 2012

Baharon mera jeewan bhi sanwaro...........बहारों, मेरा जीवन भी संवारो................


बहारों, मेरा जीवन भी संवारो ...............
सत्तर के दशक का यह गीत एक बहुत ही मधुर संगीत का नमूना है ! केवल स्वर ही नहीं बोल भी अपना महत्त्व रखते हैं!यह किसी भी motivational गीत से कम नहीं ! 'बहारों मेरा जीवन भी सवारो' अपने आप मैं एक बहुत ही सकारात्मक सोच है, जहाँ कवि  बहारों से कह रहा है की जैसे  तुम खुशहाली का सूचक हो वेसे ही अपनी सुन्दरता को केवल अपने तक सीमित न रखो बल्कि मेरे जीवन को भी सुन्दर कर दो! normally हम बहार को देख कर खुश होते हैं, मन को शांति और आँखों को सुकून मिलता है जब बहार की ऋतु  में  हर चीज़ अपने सौंदर्य के चरम पर होती है !रंगों के जितने shades आपने अपने सारे जीवन में  नहीं देखे होते वो आप बहार के मौसम में  देखते हैं ! अगर हम गीत की इस पंक्ति को अपने जीवन में  उतारें तो पाएंगे कि  शायद हमने बहार से कभी कुछ माँगा ही नहीं , केवल प्राकर्तिक सौंदर्य का आनंद  उठाया है या फिर अपनी दुआओं में  माँगा है कि  हे इश्वर मेरे जीवन में भी बहार ला दे !जो बहारें हमारे सामने हैं उनसे कभी कुछ लिया ही नहीं चाहे व्यक्तिगत जीवन हो या व्यवसायिक , बहारें हमेशा ही हमारे सामने रही हैं किन्तु हम उनसे शायद मांगते ही नहीं यदि हम व्यक्तिगत जीवन की बात करें तो बहरें हमारे सामने उन सफल व्यक्तियों क रूप में  होती हैं जो अपने जीवन मैं एक लक्ष्य ले कर चले  हैं और कामयाब हुए हैं ! यहाँ सफल व्यक्ति से मतलब  धनवान व्यक्ति बिलकुल भी नहीं है ! सफल  व्यक्ति वह  है जो अपनी जीवन मैं खुश है चाहे वह परिवार के बुज़ुर्ग दादाजी क्यों न हों जो आज अपने नाती-पोतों के साथ ख़ुशी से जीवन बिता रहे हों जिन्होंने ज़िन्दगी के हर पड़ाव  को भरपूर जिया हो  जवानी मैं कमाया, अपने बच्चों  को सही मार्ग दिखाया और आज  धन-दौलत की चिंता किये बिना अपने परिवार को एकजुट देख कर खुश हैं या फिर एक विधवा माँ जिसने अपनी बेटियों को अपने पैरों पे खड़ा किया और आज उनकी प्रतिष्ठा और मान से गौरान्वित होती है! इन बहारों से हमें सीखना चाहिए, इनसे कहना चाहिए कि मेरा जीवन भी संवारो, अपने experiences share  कर के! जीवन के वो कठिन रास्ते जो आपने  सहज ही गुज़ार दिए, हर छोटी-बड़ी कठिनाई का सामना कर, हमें भी बताओ, हमें प्रेरणा दो कि जीवन केसे खुशहाल बनाते हैं, कभी क्रोध को पीकर तो कभी एक बड़े झगडे को एक मुस्कराहट से सुलझा कर !

और व्यवसायिक जीवन तथा प्रबंधन के क्षेत्र में देखें  तो यह पंक्तियाँ एकदम सटीक बैठती हैं कयोंकि  एक क्षेत्र का विकास पूरे देश के विकास को गति दे सकता है ! हमारे देश में  ऐसे कई उदाहरण हैं जहाँ एक व्यवसाय विशेष या क्षेत्र विशेष ने पूरी अर्थ व्यवस्था का उद्धार  किया है चाहे वो भिलाई का steel plant हो, गुजरात की industries या फिर south का IT सेक्टर; इन बहारों से इन क्षेत्रों ने वाकई अपना जीवन भी सुधारने  का अनुरोध किया होगा! आज भी हम सुनते हैं कि  इस गाँव में  पक्की सड़क बनने  के कारण  बहुत  विकास हुए हैं! स्कूल , सहकारी बैंक , दवाखाना इत्यादि सभी कुछ बन गया जबसे सड़क बनी है !पर खेद की बात है की जिन बहारों ने जिस जगह जीवन संवारा ऐसे उदाहरण  होते हुए भी विकास कम है! पिछले कुछ दशकों से स्तिथि  सुधरी हैं वरना  सिर्फ उपयोग किया  गया  हैं उद्धार नहीं! जैसे भारत वर्ष के इतिहास में  कई शासक जो विध्वंस बन के आये वह  बहार बन के  भी आ सकते थे  और भारत को संवार  सकते थे किन्तु सँवारने से ज्यादा भारत को लूटा गया! अंग्रेजी शासन भी एक बहुत बड़ी बहार साबित हो सकता था यदि वो अपनी technology, अपने inventions, अपनी तरक्की से हमारी तरक्की को जोड़ता पर शायद भारत इस संधर्भ में  कल भी unlucky था और आज भी है! दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों की सूची मैं भारत के कई नागरिकों  का  नाम   है किन्तु दुनिया के सबसे  best brands में  भारतीय  brands  नहीं आते! भारत का GDP दुनिया के best GDPs earning nations में  नहीं आता !
ऐसा नहीं है कि  कुछ भी नहीं हुआ है या Corporate Social Responsibility नाम मात्र को ही है! कई नामी कम्पनियाँ और उद्योगों ने  भारत की तस्वीर बदलने में  महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है पर आज भी ज़रुरत है कि हम इन बहारों से हक़ से मांगे कि  हमारा जीवन भी संवारो  , तुम अगर prosper कर रहे हो  तो हमें भी prosper करो यदि एक team leader की तरक्की होती है तो वह पूरी टीम की तरक्की करवाए , यदि एक राज्य में  खुशहाली है तो वह दुसरे राज्य में  खुशहाली लाने  का प्रयास करे तभी हम एक self sustained ecosystem rather economic system बना पाएंगे!
 इसलिये किसी पे बहार आने पर जलन या द्वेष मत लाये बल्कि हक़ से उस बहार से कहिये कि  मेरा जीवन भी सवारों!

सूफ़िया  कुरैशी
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